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Friday 21 September 2012

हांड़-मांस को बेंच, अश्रु ही पी पाएगी

भागें भगवन भक्त से, भड़भूजे से अन्न |
फास्ट फूड की फेहरिश्त, फिर फांके संपन्न |

फिर फांके संपन्न, नहीं ईश्वर से डरते |
बड़ा चढ़ावा भेंट, देख शिर्डी में करते |

रोटी से मजबूर, गरीबी क्या खाएगी |
हांड़-मांस को बेंच, अश्रु ही पी पाएगी ||

1 comment:

  1. रोटी से मजबूर, गरीबी क्या खाएगी
    हांड़-मांस को बेंच, अश्रु ही पी पाएगी

    realistic touchy poem

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